क्या गर्भवती माताओं को करवाचौथ और नवरात्रि के व्रत रखना चाहिए? : जानें महाराज जी का वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण, शिशु के स्वास्थ्य व पोषण पर प्रभाव और सही उपाय।
प्रश्न: क्या गर्भवती महिलाओं के लिए करवाचौथ और नवरात्रि के व्रत उचित हैं?
गर्भावस्था के दौरान माताओं के मन में यह प्रश्न अक्सर उठता है कि क्या गर्भवती माताओं को करवाचौथ और नवरात्रि के व्रत रखना चाहिए? एक महिला ने यह सवाल महाराज जी से किया, और उनका उत्तर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक आधार पर भी महत्वपूर्ण है।
महाराज जी का उत्तर: गर्भावस्था में सबसे बड़ा व्रत क्या है?
महाराज जी के अनुसार, जब कोई महिला गर्भवती होती है, तब उसका सबसे बड़ा व्रत गर्भस्थ शिशु के पोषण का होता है। गर्भ में पल रहा शिशु पूरी तरह से मां के खानपान और जीवनशैली पर निर्भर करता है।
- यदि मां लंबे समय तक व्रत रखती है, विशेषकर निर्जला व्रत (जैसे करवाचौथ), तो शिशु को आवश्यक पोषण तत्व नहीं मिलते।
- पोषण की कमी से शिशु में कमजोरी, बीमारियां और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- गर्भस्थ शिशु की नाल (umbilical cord) से पोषण सीधे मां के आहार से मिलता है। इसलिए नियमित भोजन अत्यंत आवश्यक है।
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क्यों गर्भावस्था में व्रत नहीं रखना चाहिए?
महाराज जी कहते हैं:
- गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा किया गया प्रत्येक त्याग सीधे शिशु को प्रभावित करता है।
- यदि नौ दिन का नवरात्रि व्रत या निर्जला करवाचौथ रखा जाए, तो भ्रूण को प्रतिघंटे पोषण नहीं मिलेगा।
- शास्त्रों में भी वर्णन है कि गर्भस्थ शिशु का पोषण मां से ही होता है।
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गर्भवती महिलाएं क्या करें?
- निर्जला व्रत या कठोर उपवास से बचें।
- इसके स्थान पर सात्विक आहार लें और भगवत भजन, कीर्तन, पूजा-पाठ जैसे आध्यात्मिक कार्य करें।
- मन से भगवान का स्मरण करना ही सबसे बड़ा व्रत है।
हनुमान जी की आराधना: महिलाएं कर सकती हैं या नहीं?
एक अन्य प्रश्न यह था कि क्या महिलाएं हनुमान जी का व्रत रख सकती हैं? महाराज जी का उत्तर स्पष्ट था:
- हनुमान जी हमारे भगवान हैं, सभी उनकी आराधना कर सकते हैं।
- महिलाएं हनुमान चालीसा, नाम जप, भोग, आरती कर सकती हैं।
- केवल उनके शरीर संबंधी बंधन या अंग सेवा जैसी परंपराओं के लिए प्रमाण नहीं मिला है, इसलिए उसका पालन न करें।
- बजरंग बाण पढ़ना भी निषिद्ध नहीं है, क्योंकि यह भगवान का यश गान है, न कि किसी के प्रति अनुष्ठान।
निष्कर्ष: मातृत्व ही सबसे बड़ा व्रत है
महाराज जी का मुख्य संदेश यह है कि जब महिला गर्भवती हो, तो उसका सबसे बड़ा धर्म और व्रत शिशु के पोषण का है। करवाचौथ और नवरात्रि के व्रत गर्भावस्था में न रखें, बल्कि भगवान का स्मरण करें, कीर्तन करें और सात्विक भोजन लें। यही वास्तविक आराधना है।

FAQs:
Q1: क्या गर्भवती माताओं को करवाचौथ का व्रत रखना चाहिए?
नहीं, गर्भावस्था में करवाचौथ का निर्जला व्रत रखने से शिशु को पोषण नहीं मिल पाता, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
Q2: गर्भावस्था में नवरात्रि का व्रत रख सकते हैं?
लंबे समय का व्रत रखने से पोषण की कमी हो सकती है। इसलिए व्रत न रखें, सात्विक आहार और पूजा-पाठ करें।
Q3: गर्भवती महिलाएं धार्मिक कार्य कैसे कर सकती हैं?
व्रत के बजाय भगवान का स्मरण, कीर्तन, पूजा-पाठ, नाम जप और हनुमान चालीसा पढ़ सकती हैं।
Q4: क्या हनुमान जी की आराधना गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं?
हाँ, वे नाम जप, भोग, आरती कर सकती हैं, लेकिन अंग सेवा और बंधन वार जैसे रिवाजों से बचें।