Shri Hit Premanand Ji Maharaj Pravachan जीवन की अनुपम निधि है यदि कोई भी सद्गुरुदेव जी महाराज के आशीष वचनों को अपने ह्रदय से धारण करे तो उसका लोक-परलोक दोनों संवर जाये, इस लेख में गर्भवती स्त्रियां इन बातों का रखें ध्यान पर गुरुदेव कुछ महत्वपूर्ण बातें कर रहे है जब दरबार में आयी एक महिला कहती है-
महाराज जी आपके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम ! महाराज जी इस मन को कैसे एकचित् होकर भगवान की ओर लगायें। और गर्भवती स्त्री को क्या करना चाहिए कि उसके संतान जो आने वाले हैं भागवत मार्ग की ओर चल पाए।
प्रेमानंद जी महाराज प्रवचन
गुरुदेव कहते है कि मन को एकचित् में लगाने के लिए तो सब शास्त्र, सब साधनाएं, जितने वर्णन किए गए हैं जितने ग्रंथ-पंथ महापुरुष जन जो बोले हैं, यह सब मन को ही लगाने के लिए बोले हैं। क्योंकि बहुत जन्मों से मन हमारा शरीर और भोगों में मगन रहा है साधना नहीं बनी है। अगर साधन बनी होती तो हमें भगवान की प्राप्ति हो गई होती।
अब तक भोगों में विचरण करते रहे हैं। कुछ पुण्य बने हैं, कुछ पाप बने हैं, कभी देवलोक को गए हैं, कभी नरक लोक को गए हैं, और कुछ पुण्य-पाप के मिश्रित भाव से मनुष्य देह की प्राप्ति हुई है। इसका मतलब मन को हम निर्मल नही कर पाएं। ऐसा अवसर हमें नहीं मिला कि हम मन को प्रभु में लगा पाए हो
अवसर मिला है मन को प्रभु में लगा लो
अब अवसर मिला है । सत्संग सुनने के बाद लगा की मन को विषयों से हटाकर प्रभु में लगाने से ही परम मंगल प्राप्त होता है। अब ,जब हम मन को विषयों से हटाने की सोचते हैं तो बलवान मन बार-बार उन्हीं विषयों की ओर ले जाता है। जो मन बार-बार विषयों की तरफ ले जाए उसे हम चंचलता कहते हैं ।
अब हम चाहते हैं कि हमारा मन चंचलता छोड़कर प्रभु में लगे । तो “अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना।” विषय अभ्यास को छोड़कर भागवत अभ्यास करना पड़ेगा। जैसे कुछ देर हम नाम जप करें, कुछ देर नाम कीर्तन करें, क्योंकि मन चंचल है एक जगह टिकेगा नहीं, इससे धीरे-धीरे हमारा मन प्रभु में लगने लगेगा
परहेज करें, धर्म विरुद्ध भोग ना करें ,धर्म विरुद्ध भोजन न करें ,जैसे मांस मछली अंडा, बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी। हम ऐसा पेय पदार्थ न पिए जो मन को दूषित करें, ऐसे लोगों का संग ना करें जो हमारे मन पर प्रभाव डालकर फिर विषयी बना दे । हमें भागवत मार्ग में चलने ना दे। भोजन शुद्ध, जल शुद्ध ,संग शुद्ध, हमारे आचरण शुद्ध, और अभ्यास भागवत भजन धीरे-धीरे हमारा मन प्रभु में लगने लगेगा।
गर्भवती स्त्रियां इन बातों का रखें ध्यान
अब हमारी बात आती है कैसे हमारा गर्भ पवित्र संस्कारों वालों हो, उसके ऊपर कैसे प्रभाव पड़े! तो जैसे हमने प्रहलाद जी की जीवन चरित्र को जब सुना और पढ़ा तो यह प्राप्त हुआ कि गर्भ में ही प्रहलाद जी थे तब कयाधू जी को नारद जी अपने आश्रम में ले गए। और वहां रोज भागवत चर्चा सुनते और पवित्र आश्रम में रहते। पवित्र भाव से भजन कीर्तन सुनते थे तो यह सारी पवित्रता गर्भस्थ बालक के ऊपर प्रभाव पड़ा । और गर्भ से ही वह महाभागवत के रूप में प्रकट हुए।
अर्जुन जब चक्रव्यूह तोड़ने की क्रिया सुना रहे थे सुभद्रा को लेकिन प्रभाव गर्भस्थ शिशु के ऊपर पड़ा । लेकिन आखिरी व्यूह तोड़ने की संरचना में वह सो गई तो श्रवण इंद्रियां बंद हो गई इसलिए आखिरी चक्रव्यूह तोड़ने की संरचना क्या थी यह अभिमन्यु पर प्रभाव नहीं पड़ा। जिससे चक्रव्यूह तोड़ने की संरचना अभिमन्यु जी को नहीं पता चला। तो इन दो उदाहरण से पता चलता है कि हमारे गर्भस्थ शिशु पर हमारे भोजन का, हमारे वार्तालाप का, श्रवण का, देखने का, व्यवहार का, प्रभाव पड़ रहा है। जैसे बच्चा गर्भ में आ गया है फिर आप गृहस्थ धर्म में सहवास करोगे तो यह प्रभाव पड़ेगा। उसके अंगों पर पड़ सकता है और उसके मानसिकता पर भी पड़ेगा आप शासन विहीन जीवन व्यतीत कर रहे हैं । इंद्रियों का, तो आपका जो बच्चा है वह शासन विहीन पैदा होगा क्योंकि आपके संस्कार पड़ रहे हैं उसमें ।
गृहस्थ में यह ध्यान रखना चाहिए जब गर्भ आ जाए तो पवित्रता और उसको निरोग रखने के लिए, बलवान बनाने के लिए आप ब्रह्मचर्य से रहिए संतान उत्पत्ति क्रिया सृष्टि के अनुसार कर लिए तो अब नहीं! ऐसा संयम बनाकर रखना चाहिए । तो अगर हम बालक को एक देशभक्त बनाना चाहते हैं तो हम देशभक्त की गाथाएं सुनें, भागवत चर्चाएं सुनें , तो प्रभाव गर्भस्थ बालक के ऊपर पड़ेगा। और अगर हम गंदा आचरण रखेंगे, गंदा खाना पान रखेंगे, उसका चिंतन करेंगे ,तो वह छोटे-छोटे बच्चों में गंदे संस्कार देखे जा रहे हैं। क्योंकि तुमने ही स्वयं नहीं धारण किया तो जो संस्कार तुमने डालें वही संस्कार बाहर प्रगट हुए । इसलिए जिस दिन पता चला कि गर्भधारण हो गया उसी दिन से संकल्प कर ले अब सहवास नहीं ! आप संयम में रहे अच्छे-अच्छे आचरण करें भागवत का गान करें, देश भक्ति, मंत्र भक्ति, का संदेश सुनें, तो यह सब प्रभाव आपके बालक के ऊपर पड़ेगा स्वयं गर्भस्थ बालक बुद्धिमान और महान बनेगा।
।।राधे राधे राधे।।