वृन्दावन वाले बाबा श्री हित प्रेमानंद जी महाराज के सत्संगो का अमृत पान करने वाले जनों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और सबकों राधा-रानी जू का आशीर्वाद मिल रहा है गुरुदेव परमारथ मार्ग के पथिकों के प्रश्नों का समुचित उत्तर देकर उन्हें संतुष्ट करते है क्या मात्र भगवान के भरोसे सब कुछ छोड़ देने से जीवन सफल हो जाएगा?
श्रद्धा मिश्रा जी मध्य प्रदेश से राधे-राधे गुरुजी! महाराज जी ! ईश्वर पर अनन्य विश्वास तो बनता है किंतु मन में संदेह उत्पन्न होने लगता है। कि क्या मात्र ईश्वर के भरोसे सब कुछ छोड़ देने से जीवन सफल हो जाएगा।
प्रेमानंद जी महाराज प्रवचन
महाराज जी कहते है मन तो प्रपंची है अच्छा थोड़ी ना सोचता है ,क्या-क्या सोचने लगता है मन की जांच करो देखो उसकी सोच सत्य है क्या ? कहीं भी महापुरुषों द्वारा ऐसा आदेश नहीं किया गया है की कायर बनकर बैठ जाओ भगवान के भरोसे । अज्ञानी तो कुछ भी बोल सकता है। शास्त्र प्रमाणित बात भगवान कहते हैं मेरा स्मरण करो और अपने कर्तव्य का पालन करो, पूरे शास्त्रों का सार है, कर्तव्य का पालन आपकी पत्नी है ,आपकी मां है ,आपकी बहन ,बेटी ,आपको अपने कर्तव्य का व्यवहार ठीक वैसे ही करना है, जैसे आपके संबंध हैं, और वह कर्तव्य भगवान को समर्पित कर दो।
भगवान के सामर्थ्य का भरोसा
भरोसा दृढ़ भगवान का हो तो भले ही विपत्ति है, भले दुख है, लेकिन एक दिन सुख सिंधु भगवान कृपा करेंगे। मुझे दुखों से उबारेंगे । कायरता के लिए तो ग्रन्थों में आदेश नहीं दिया गया। अगर हरि का बल ना हो तो इतनी सामर्थ्य नहीं है तुम्हारी कि तुम कुछ भी कर पाओ। इसलिए भरोसा उसकी सामर्थ्य का रखो, जो तुम्हें कर्तव्य मिला है उसको करो, और नाम जाप करो।
धन भरोसा, तन भरोसा, जन्म भरोसा, यह भरोसे के लायक नहीं है। जिनके तुम भरोसे बैठे हो वह मरण धर्म है । उसका भी मन है वह भी धोखा दे सकता है लेकिन हम प्रभु के भरोसे हैं वही हमारा प्रीतम है । वह सामर्थ्यशाली, है वह सर्वत्र है ,सर्व शक्तिमान है । इसलिए भरोसा उसका रखो। कर्तव्य अपना जो मिला है आपको ! वह करते रहो !
संत कथा
एक संत भगवान एक जगह उपदेश कर रहे थे। कि यदि भगवान का दृढ़ भरोसा है तो तुम भूखे नहीं रह सकते। तुम दुख में नहीं रह सकते। तुम्हें परमानंद की अनुभूति होगी । मलूकदास जी बहुत बड़े सिद्ध संत थे वह भी नई अवस्था में बैठे थे।
उन्होंने कहा कि बिना किए भगवान दे देगा ? महा संत ने कहा कि हां पक्का भरोसा रखो बिना किए दे देगा। मलूकदास बोले कि हम खाए ना तो भगवान खिला देंगे। संत बोले हां ऐसा ही होगा। भरोसा रखो । मलूकदास वहां से उठे और गांव की तरफ चले तो देखा गांव बाहर कई बीघा ज्वार का खेत था । और उसके बीच में एक बरगद का पेड़ था उस पर जाकर बैठ गए । और मन में निश्चय किया देखते हैं बिना कुछ किये भगवान कैसे खिला देगा । शाम तक पेड़ पर बैठे रहे । उसी समय एक राजकुमार अपने निजी अंगरक्षक के साथ ऐसे भ्रमण के लिए निकले थे। उनको बरगद का पेड़ बहुत सुंदर दिखाई दिया और सघन छाया था ।
वह बोले चलो इसके नीचे बैठकर आराम करते हैं और जो भोजन लाए हैं सब लोग बैठकर खाते हैं । सब लोग राजकुमार के लिए सोने की थाली लगाएं और वस्त्र बिछाकर तत्काल व्यवस्था कर दिए । अच्छे-अच्छे पदार्थ सब रख दिया गया । अंगरक्षक खड़े थे इतने में देखा कि कुछ घोड़े की टॉप सुनाई दे रही है । एक अंगरक्षक देखा तो बोला यह तो हमारे शत्रु लोग आ रहे हैं । अब यहां से तो भागना पड़ेगा क्योंकि हमारे शत्रु लोग आकर हमारी हत्या कर देंगे ।
अगर पता चलेगा कि हमारे पूरे सैनिक हमारे साथ नहीं है। भोजन थाली सब छोड़ कर राजकुमार सहित वहां से भाग गए। उनके दुश्मन थाली से भरा भोजन देखा तो बोले कि हम समझ गए हमारे शत्रु की प्लानिंग है यह लोग आएंगे और भोजन खाएंगे फिर मर जाएंगे। उसमें से एक बोला जिसने यह भोजन रखा है वह यहीं कहीं छिपा है। उसे ढूंढो तो एक ने देखा कि पेड़ के ऊपर मलूकदास जी बैठे थे बोला वहां से नीचे आओ । मलूकदास बोले नहीं मैं नहीं आऊंगा जबरदस्ती दो सिपाही उन्हें नीचे उतारा और बोले अब सारा भोजन इसको खिलाओ ।
यह हम लोगों को मारना चाहता था। इस खाने में जहर है। पूरा भोजन खिलाओ ,जबरदस्ती मेवा ,मिष्ठान खिलाने लगे और वह आनंदित हो रहे हैं । बोले मान गए प्रभु आपको! मान गए! बिना किए जबरदस्ती खिला देते हैं।
अजगर करे न चाकरि पंछी करे ना काम।
दास मलूक कह गए सबके दाता राम।।
क्या मात्र भगवान के भरोसे सब कुछ छोड़ दे
मलूकदास तो बहुत बड़े महापुरुष थे। पर अपने लोगों को भगवान ने कर्तव्य करने का आदेश किया है। सबकी स्थिति थोड़ी है कि भगवान के भरोसे बैठ जाए सब कुछ होता जाएगा इसलिए। अपने कर्तव्य का अपनी स्थिति के अनुसार पालन करें और प्रभु का नाम जाप करें।
।।राधे राधे।।
Good Pravachan Highly Appreciated ????
राधे राधे