दीवाली पर क्या करना चाहिए dipawali par kya kare hindi : दीवाली सनातन धर्म में का सबसे बड़ा त्योहार है जो राजा राम चंद्र जी महाराज के 14 वर्ष वनवास के उपरान्त श्रीधाम अयोध्या वापस आने पर मनाया गया था जिसे आज भी हम उसी उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं । इस दीवाली के अवसर पर श्री प्रेमानन्द जी महाराज जी के प्रवचन में एक भक्त ने सवाल पूछा जो सवाल निमन्वत है :-
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महाराज जी दीवाली का पर्व है और देश विदेश में आपको बहुत जन सुनने वाले हैं तो दीवाली में क्या करें, क्या न करें ? कृपया मार्गदर्शन करें
श्री प्रेमानन्द जी महाराज जी ने उत्तर कुछ इस प्रकार दिया जिसमे उन्होंने बताया की दीवाली क्या है और क्यूँ होती है दीवाली और हम दीवाली मे क्या गलती करते हैं जो हमें नहीं करना चाहिए : dipawali par kya kare hindi
dipawali kyu manai jati hai : प्रेमानन्द जी महाराज का उत्तर : ⬇️
श्री प्रेमानन्द जी महाराज ने कहा : कि जितने भी हमारे त्योहार होते हैं वो भगवातिक होते हैं जिनमें कोई न कोई संबंध हमारे भगवान की लीला से होता है जैसे ये दीपावली है, अवध में भगवान श्री राम चंद्र जी वनवास से वापस पधारे तो ये उत्सव मनाया गया है कि भगवान श्री राम 14 वर्ष के बाद वनवास के बाद अवध में विराजमान हो रहे थे चक्रवर्ती सम्राट बनकर तो ये उत्सव मनाया गया दीपोत्सव से । dipawali par kya kare hindi
dipawali par kya kare : क्या होता है दीवाली में आजकल ?
श्री प्रेमानन्द जी महाराज कहते हैं कि अब इसे हम घर घर में लगता है पूरे भारत में मनती है, सद्भावना तो है ही पर हमको ये समझना पड़ेगा कि जैसे ये दीपावली उत्सव को हम जुआँ आदि खेलने लगते हैं, साल भर तो हम नहीं खेलते हैं पर दीपावली को खेलेंगे, क्यूँ भाई, कहाँ लिखा है, कि हम दीपावली को वो अपराध करेंगे जिसमे कलयुग का वास होता है जिसमे बड़े बड़े धर्मात्माओं की भारी विपत्तियाँ आई, जैसे धर्मराज युधिष्ठिर, नल, दमयन्ती, बड़े बड़े पवन चरित्र हैं महापुरुषों के । इन क्रीड़ाओं में कलयुग का निवास है dipawali par kya kare hindi
Deewali 2024 : दीवाली में प्रचलित इन क्रीड़ाओं में कलयुग का निवास है ⬇️
श्री प्रेमानन्द जी महाराज कहते हैं कि हम पूरे साल भले ही जुआँ न खेलें परंतु दीवाली पर अवश्य खेलेंगे क्यूँ, इन क्रीड़ाओं में कलयुग का निवास होता है जिसमे हमारे कई धर्मात्माओं ने अपना सर्वस्व खोया है । dipawali par kya kare hindi
जैसे : शराब पीना, माँस खाना, परस्त्री गमन करना, स्वर्ण करना, द्वित क्रीड़ा करना जैसे जुआँ खेलना ।
श्री प्रेमानन्द जी महाराज ने कहा कि जैसे दीवाली को गाँव मे देखा जाता है कि जो लोग नहीं खेलते थे वो भी खेलते हैं, आज हम दांव लगाएंगे पर प्रभु से ।
श्री प्रेमानन्द जी महाराज कहते हैं कि भोजन करो, अपने प्रिय प्रीतम का या भागवत प्रिय किसीका और बैठ जो माला लेकर, 12 बजे रात तक खूब नामजप करो, बाद सुख और लाभ मिलता हैं, दीपक जला लो घी का और खूब गुरुमंत्र जपाओ, नाम जप करो, ये क्रीडा आदि मत करो ये सब आपको असत मार्ग पर ले जाएंगे ।
ये जो हमारा त्योहार है इसका आंतरिक भी स्वरूप है हमारे हृदय में भक्ति का दीप, प्रेम करी बाती, हमारे अंदर ज्ञान का प्रकाश को प्रकाशित करना, बाहर के अंधेरे जाने से हमारे हृदय का अंधकार तो नहीं मिटेगा, हमें हृदय का अंधकार भी मिटाना पड़ेगा ।
जब बाहर की दीपावली इतनी खुशी दे सकती है तो अगर अंदर की दीपावली हो जाए तो कितना आनंद हो जाएगा
कौन सा दीपक अंदर चलाया जाता है, भक्ति का दीपक और प्रेम की बाती, अगर कौन सा दीपक अंदर चलाया जाता है, भक्ति का दीपक और प्रेम की बाती हो जाए तो उस प्रकाश से जो प्रकट होता है उसे ज्ञान कहते हैं, उस ज्ञान से ये जितनी भी चिंता, क्रोध, दुख, मृत्यु यदि का भय होता है सब मिट जाएगा । आप शरीर नहीं आपका स्वरूप सच्चिदानंद है । किसी भी में ताकत नहीं है कि आपको मार सके और ये शरीर बच नहीं सकता क्यूंकि ये प्रकृति है और ये मरेगा, जैसे बच्चा से कब जवान हुआ पता नहीं चला वैसे ही कब मृत्यु आ जाएगा पता नहीं चलेगा, ये प्रकाश होता है अंदर और जब ये पता चल जाएगा कि मैं कौन हो तो आत्मानंद हो जाता है ।
ये बाहरी दीपक और बाती तो बाजार में मिल जाती है परंतु ये भक्ति रूपी दीपक बाजार में नहीं मिलता है ये संतों के आशीर्वाद से मिलता है भजन कीर्तन से मिलता है ।
भगवान के आने पर उत्सव मनाया जाता है अच्छी बात है खुशी की बात है परंतु ये द्वित कार्य करना कैसा उत्सव होता है । ये बाहर के प्रकाश के लिए तो कैसे भी प्रकाश होता जाएगा आज इतनी व्यवस्थाएं हैं ।
अंदर अंधकार छाया हुआ, जब तक इस अंधकार में दीवाली नहीं होगी तब तक वास्तविक आनंद का अनुभव नहीं होगा ।
दीवाली से क्या करना प्रारंभ करना चाहिए ?
दीवाली से क्या करना प्रारंभ करना चाहिए ?
- दीवाली से गलत आचरण करना बंद कर दो ।
- दीवाली से शराब मत पियो ।
- माताओं बहनों की तरफ गलत दृष्टि से मत देखो ।
- दीवाली से माता – पिता को भगवत भाव से देखो ।
- दीवाली से व्यभिचार करना बंद कर दो ।
- दीवाली से माँस खाना बंद कर दो ।
- दीवाली से जुआँ खेलना बंद कर दो ।
- दीवाली से चोरी करना बंद कर दो ।
निष्कर्ष : Sri Premanand JI Maharaj
आशा है आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी । श्री प्रेमानन्द जी महाराज हमारी जीवन को एक अच्छा मार्ग प्रदान करते हैं । हमे जीवन के उद्देश्य से परिचित करवाते हैं । आप दीवाली को इस प्रकार मनाए कि हर जीव को दीवाली मनाने का अवसर मिले । त्रेता युग में अयोध्या वासियों ने ये सब करके उत्सव नहीं मनाया होगा । आप भी भगवान श्री राम का उत्सव सात्विक रूप से मनाएं ।
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