how to control anger issues premanand ji maharaj
by Bhakt

how to control anger issues premanand ji maharaj : क्रोध एक सामान्य मानवीय भावना है, जो हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी उत्पन्न होती है। यह एक ऐसा आवेग है, जो हमारे मन की शांति को नष्ट कर देता है और कई बार हमारे जीवन में नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करता है। प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि यदि हम क्रोध पर विजय पा लेते हैं, तो हम अपने जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि क्रोध क्यों उत्पन्न होता है, इसके दुष्प्रभाव क्या हैं, और इससे बचने के प्रभावी उपाय क्या हैं।
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how to control anger issues premanand ji maharaj
क्रोध पर नियंत्रण कैसे करें?
(प्रेमानंद जी महाराज द्वारा)
क्रोध के उत्पन्न होने के कारण : premanand ji maharaj
क्रोध अचानक से उत्पन्न नहीं होता, इसके पीछे कुछ कारण होते हैं। प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि:
- अपेक्षाओं का टूटना: जब हमारी अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं, तो हमें क्रोध आता है। हम दूसरों से जो उम्मीदें रखते हैं, वे जब पूरी नहीं होतीं, तो हमारा मन अशांत हो जाता है और क्रोध उत्पन्न होता है।
- अहंकार का आघात: जब हमारा अहंकार चोटिल होता है, तब भी हमें क्रोध आता है। अहंकार हमें यह महसूस कराता है कि हम सबसे श्रेष्ठ हैं, और जब कोई हमारी इस भावना को ठेस पहुंचाता है, तो गुस्सा आना स्वाभाविक हो जाता है।
- अनुचित व्यवहार: किसी के अनुचित और अपमानजनक व्यवहार के कारण भी क्रोध उत्पन्न होता है। यह भावना तब पैदा होती है, जब हमें लगता है कि हमारे साथ गलत हुआ है।
- असफलता का डर: कई बार असफलता के डर से भी क्रोध जन्म लेता है। जब हम किसी कार्य में सफल नहीं हो पाते या हमें यह लगता है कि हम असफल हो सकते हैं, तो हम अपने आसपास के लोगों पर क्रोधित होने लगते हैं।
- अधीरता: धैर्य की कमी भी क्रोध का एक बड़ा कारण है। आज के तेज़ भागते युग में हम तुरंत परिणाम चाहते हैं, और जब चीज़ें हमारी अपेक्षा के अनुसार नहीं होतीं, तो हम अधीर होकर गुस्सा करने लगते हैं।
क्रोध के दुष्प्रभाव
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, क्रोध न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: क्रोध के समय हमारा मन अशांत हो जाता है। हम सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते और आवेश में गलत निर्णय ले बैठते हैं। लगातार क्रोध करने से मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
- शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: क्रोध के कारण शरीर में कई नकारात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं। यह हृदय गति को बढ़ा देता है, रक्तचाप बढ़ जाता है, और पाचन तंत्र पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक क्रोध करने से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और अन्य शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं।
- रिश्तों पर प्रभाव: क्रोध हमारे रिश्तों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। जब हम गुस्से में होते हैं, तो हमारे शब्द कठोर हो जाते हैं, जिससे हमारे प्रियजनों को दुख पहुंचता है। इससे हमारे रिश्तों में दूरियां बढ़ सकती हैं।
- आध्यात्मिक प्रगति में बाधा: प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि क्रोध हमारी आध्यात्मिक प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। जब तक मन अशांत रहेगा, तब तक हम ध्यान और साधना में प्रगति नहीं कर सकते। क्रोध मन की शांति को नष्ट करता है, जिससे आत्मज्ञान प्राप्त करना कठिन हो जाता है।

क्रोध पर नियंत्रण के उपाय
क्रोध पर नियंत्रण पाने के लिए प्रेमानंद जी महाराज ने कुछ सरल और प्रभावी उपाय बताए हैं। इन उपायों को अपनाकर हम अपने क्रोध को नियंत्रित कर सकते हैं और एक शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
1. ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास
ध्यान और प्राणायाम क्रोध को नियंत्रित करने के सबसे प्रभावी साधन हैं। ध्यान से मन शांत होता है और आत्मचिंतन की क्षमता बढ़ती है। प्रतिदिन सुबह और शाम 10-15 मिनट ध्यान करें। प्राणायाम से श्वासों का नियंत्रण होता है, जिससे मन स्थिर होता है और क्रोध की भावना नियंत्रित होती है।
2. सांसों पर ध्यान दें
जब भी क्रोध आए, तुरंत अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। यह क्रोध की तीव्रता को कम करता है और आपको शांत करता है।
3. मौन का अभ्यास करें
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि मौन क्रोध पर नियंत्रण पाने का एक प्रभावी उपाय है। जब आप गुस्से में हों, तो तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय मौन रहकर स्थिति को समझने की कोशिश करें। इससे अनावश्यक विवादों से बचा जा सकता है।
4. सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं
हर स्थिति में सकारात्मक पक्ष देखने की आदत डालें। जब हम चीजों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं, तो हमें क्रोध कम आता है। कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और सकारात्मक सोच बनाए रखें।
5. क्षमाशील बनें
क्षमा करना सीखें। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि क्षमा सबसे बड़ा गुण है। जब हम दूसरों को क्षमा करते हैं, तो हमारा मन हल्का होता है और क्रोध कम होता है।
6. अहंकार को त्यागें
क्रोध का एक बड़ा कारण हमारा अहंकार होता है। यदि हम अपने अहंकार को त्याग दें, तो हमें क्रोध कम आएगा। विनम्रता और सहानुभूति का अभ्यास करें।
7. आत्मचिंतन करें
रोजाना रात को सोने से पहले आत्मचिंतन करें। दिनभर में आपने कब और क्यों क्रोध किया, इसका विश्लेषण करें। यह आत्मचिंतन आपको अपने क्रोध के कारणों को समझने में मदद करेगा और आप उनसे बचने का प्रयास कर सकेंगे।
8. सत्संग का लाभ लें
सत्संग में जाने से हमारी मानसिक शांति बढ़ती है। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि सत्संग से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे क्रोध की भावना कम होती है। अच्छे लोगों की संगति में रहें और आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें।
9. ईश्वर की शरण में जाएं
प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि जब हम ईश्वर की शरण में जाते हैं और हर परिस्थिति को उनकी इच्छा मानते हैं, तो हमें क्रोध नहीं आता। यह विश्वास हमें मानसिक शांति प्रदान करता है।
10. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
स्वस्थ जीवनशैली क्रोध को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समय पर सोएं, पौष्टिक भोजन करें, और नियमित व्यायाम करें। जब शरीर स्वस्थ रहता है, तो मन भी स्थिर रहता है और क्रोध की भावना कम होती है।
निष्कर्ष
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, क्रोध को नियंत्रित करना एक साधना है, जिसे धैर्य और निरंतर अभ्यास से सीखा जा सकता है। जब हम क्रोध पर विजय प्राप्त कर लेते हैं, तो हमारा जीवन शांतिपूर्ण और सुखमय हो जाता है। क्रोध को नियंत्रण में रखने से न केवल हमारे रिश्ते सुधरते हैं, बल्कि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
आइए, हम सभी प्रेमानंद जी महाराज के बताए इन उपायों को अपने जीवन में अपनाएं और क्रोध से मुक्त होकर एक संतुलित, स्वस्थ और प्रसन्न जीवन का आनंद लें।
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