जीवन में दुखी,परेशान हो, हार गए हो | Premanand Ji Maharaj Pravachan

मैं तो सात समंद की मसि करौ, लेखनि सब बनराइ
धरती सब कागद करौ, तऊ गुरू गुण लिख्या न जाइ

Premanand Ji Maharaj Pravachan

सदगुरुदेव Shri Hit Premanand Ji Maharaj के प्रवचन जीवन के लिए अनमोल निधि है सोशल मीडिया, यूटियूब पर स्क्रॉल करते समय जैसे ही Premanand Ji Maharaj Pravachan का कोई भी विडियो आता है तो उन अनमोल वचनों को सुनकर मन को जो शांति मिलती है उसे शब्दों में बयाँ नही किया जा सकता है सदगुरुदेव भगवान के प्रवचनों से लिया गया अंश-

जीवन से दुखी और परेशान परेशान हूँ

दरबार में आये एक साधक जी कहते है – राधे राधे महाराज जी मैं बहुत परेशान रहता हूं, ऐसा लगता है जैसे जीवन से हार गया हूँ, कुछ रास्ता दिखाई नही देता है गुरुदेव भगवान क्या करूँ कृपया मार्गदर्शन करें-

सबसे पहली बात हमारी कमजोरी क्या है परेशान हो जाते है संसार में देखो तो परेशान, परमार्थ में तो परेशान हैं।
यह हमारा स्वभाव बन गया है। थोड़ा सा धैर्यवान बानो, गंभीर बनो, कोई भी भारी से भारी विपत्ति में परेशानी स्वीकार करके बाहर निकलो सब ठीक हो जाएगा। हां समस्या आया है इसका समाधान होगा ऐसा थोड़ी है कि, वह हमें नष्ट कर देगा । अगर अभी हमारी बड़ी हानि हो गई है तो हम कल इससे बड़ा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हमको एकदम बिल्कुल गंभीर रहना है, इतना कमजोर नहीं बनना है,

अब वह चले गए तो क्या होगा? अब वह वस्तु चली गई तो क्या होगा? अब हमारा पद चला गया तो क्या होगा ? ऐसा नहीं सोचो। प्रयास किया था तो यह पद मिला था । अब इससे बड़ा पद प्राप्त करूंगा, ठीक है !

एक बार गिर गया गलती हो गई दंड भोगूंगा फिर से और ज्यादा संयम में रहूंगा, एकदम धैर्यवान रहना है। जीवन भर की यात्रा में भी भारी से भारी कष्ट में भी मुस्कुराने से हमें बल मिलेगा, हमें भगवान की कृपा का दर्शन होगा, हमें उनका दुलार दिखाई देगा ,अगर हम ऐसे परेशान रहेंगे तो यह परमार्थ में चलना थोड़ी ना कहलाएगा।

shri hit premanand ji maharaj pravachan

आज जो पढ़कर यह सीख रहे हैं यह केवल प्रवचन ही नहीं है यह तो असली जीवन है । भगवत नाम का जप करो, कभी हार ना मानो, अपने मालिक के भरोसे आगे बढ़ते रहो! जब हम अपने विवेक के द्वारा अपने को सावधान रखेंगे तो हम कभी निराश नहीं होंगे । तब जाकर उसे सुख का फल मिलेगा जहां दुख की निशानी भी नहीं होगी । हम सब इस धातु से बने हुए हैं आखिर हम इतना क्यों परेशान हो जाते हैं। थोड़ी बात बिगड़ गई तो परेशान, और अगर नहीं बिगड़ी तो बिगड़ जाने की संभावना में परेशान हो जाते हैं। आज सुख है लेकिन कल सुख छिन जाएगा। Premanand Ji Maharaj Pravachan

तो हम आज के सुख में कल की दुख के आने का संभावना में भयभीत हो जाते हैं । क्या हमारी सोच रह गई है? हमको इतना बलवान बनना है कि सुख और दुख दोनों हमको छू न सके । भारी से भारी सुख के व्यवस्था को अहंकार में ले लिया है। हर्षित होकर किसी का अपमान ना करें। कि हम धनी हैं ,हम पदाधिकारी हैं, भारी से भारी दुख आया तो हमें किसी से सहयोग की जरूरत नहीं है।

तुम अविनाशी के बच्चे हो

हम फिर अपने कदम बढ़ाएंगे, हम फिर से जुड़ी हुई अपनी भावनाओं को सजाएंगे । एकदम मस्त जीवन जियो ! तुम अविनाशी के बच्चे हो, शेर का बच्चा भेड़ियों के बीच में फंस कर म्याऊं म्याऊं बोल रहा है। अगर दहाड़ना सीख जाओ तो कोई भी आपको परास्त नहीं कर सकेगा। ऐसे भगवत अंश, प्रपंच में फंस कर अपने को इतना दीन क्यों देख रहे हो

तुम अविनाशी हो भगवान के दिव्यास्त्र में भी ताकत नहीं है कि वह तुम्हें मार सके। तुम तो अविनाशी के अविनाशी बच्चा हो। विनाशी भोगों को, विनाशी शरीर को, मय मानकर के इतना भयभीत, इतना परेशान होना ठीक नहीं है। यह सब कुछ सबके लिए है, जो लोग गृहस्थ हैं उनके लिए भी है। जनक जी, सुखदेव जी के गुरु है। जो एक राजा है उनके पास भी महल है ,रानियां है , नौकर चाकर है ,आप ऐसा ना सोचो कि हम व्यापारी हैं , नौकरी कर रहे हैं, हम संसार में गृहस्थ हैं तो हम आध्यात्मिक ऊंचाई पर नहीं चढ़ सकते। नहीं आप भी एक अध्यात्म की ऊंचाई पर चढ़ सकते हैं ।

अध्यात्म ही है जो तुम्हें इस माया के दुख सुख से ऊपर उठाएगा। चाहे जितनी संपत्ति आ जाए आप सुखी नहीं हो सकते ,अध्यात्म ही है जो हर कष्ट सहकर मुस्कुराकर जीने का रास्ता दिखाएगा ।अध्यात्म है तो कुछ नहीं बिगड़ेगा। अध्यात्म नहीं तो कुछ नहीं बनेगा।

।।।। राधे-राधे।।।।

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