naam jap kyu karna chahiye in 2025 : Premanand ji maharaj
by Bhakt

naam jap kyu karna chahiye in 2025 : Premanand ji maharaj : नाम जप भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह आत्मा की शुद्धि, मन की स्थिरता और भगवान के साथ एकात्मता प्राप्त करने का सरल और प्रभावी मार्ग है। संत महापुरुषों ने नाम जप को साधना का मूल आधार माना है, क्योंकि यह भक्ति, ज्ञान और कर्म के मार्गों को संतुलित करता है। यहाँ हम समझेंगे कि नाम जप क्यों करना चाहिए और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
Table of Contents
1. नाम जप का अर्थ और महत्व : naam jap kyu karna chahiye
नाम जप का अर्थ है भगवान के नाम का बार-बार उच्चारण करना या उसे मन में स्मरण करना। भारतीय धर्म और दर्शन में नाम को बहुत शक्तिशाली माना गया है। यह न केवल एक शब्द है, बल्कि वह माध्यम है जिससे भगवान के साथ हमारा जुड़ाव होता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:
“सततं कीर्तनं यो मां”
अर्थात भगवान का सतत स्मरण और जप मनुष्य को मोक्ष की ओर ले जाता है।
संत तुलसीदास जी ने भी लिखा है:
“राम नाम मणि दीप धरु जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौ चाहसि उजियार।।”
अर्थात राम का नाम दीपक के समान है, जो मन और आत्मा के अंधकार को दूर करता है।
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2. नाम जप से मिलने वाले लाभ : Premanand ji maharaj
नाम जप के अनेक लाभ हैं, जो न केवल आध्यात्मिक हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालते हैं। इनमें मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:
(क) आध्यात्मिक लाभ : Premanand ji maharaj
- भगवान का नाम जप करने से हमारे भीतर ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ती है।
- यह हमारे कर्मों के बंधनों को काटने में सहायक होता है।
- नाम जप से साधक को ध्यान की गहराई में उतरने का मार्ग मिलता है।
- यह ईश्वर से सीधा संपर्क स्थापित करने का माध्यम है।
(ख) मानसिक लाभ : Premanand ji maharaj
- नाम जप करने से मन शांत होता है और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
- यह मन की चंचलता को समाप्त करके उसे स्थिरता प्रदान करता है।
- नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करके सकारात्मकता बढ़ाता है।
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(ग) शारीरिक लाभ : Premanand ji maharaj
- नाम जप से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो मंत्रोच्चारण से मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमिटर्स सक्रिय होते हैं, जो तनाव को कम करते हैं।
- यह हमारे श्वास और रक्त संचार प्रणाली को बेहतर बनाता है।
3. नाम जप कैसे करें? : naam jap kyu karna chahiye
नाम जप करने के लिए किसी विशेष स्थान या समय की आवश्यकता नहीं होती। इसे कोई भी, कहीं भी और किसी भी समय कर सकता है। फिर भी, कुछ नियम और विधियाँ नाम जप को अधिक प्रभावी बनाती हैं:
(क) स्नान और स्वच्छता
नाम जप से पहले शरीर और मन को शुद्ध करना आवश्यक है। स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर जप करना अधिक प्रभावी होता है।
(ख) स्थान का चयन
एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहाँ बाहरी शोर कम हो। यह ध्यान और जप में सहायक होता है।
(ग) माला का उपयोग
माला का उपयोग करने से जप की गिनती सही रहती है और मन एकाग्र होता है। माला को धीरे-धीरे घुमाते हुए हर मनके पर भगवान का नाम लें।
(घ) मन और भावनाओं का महत्व
नाम जप में मन और भावनाओं की शुद्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान का नाम लेते समय मन में श्रद्धा और समर्पण का भाव होना चाहिए।
4. संत महापुरुषों की दृष्टि में नाम जप : naam jap kyu karna chahiye
संत महापुरुषों ने नाम जप को आत्मा की मुक्ति और जीवन की शांति का आधार बताया है। संत कबीरदास जी कहते हैं:
“सुमिरन करले मेरे मना, राम नाम सुखदाई।
संसार समुंदर पार कर, हरि चरणन ठहराई।।”
अर्थात राम का नाम जपना ही संसार सागर को पार करने का सरल मार्ग है।
गुरु नानक देव जी ने कहा:
“नाम जपो, कीर्तन करो, और वंड छको।”
इसका अर्थ है कि भगवान का नाम जपना, उनकी महिमा गाना और दूसरों के साथ बाँटना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।
5. आधुनिक युग में नाम जप की प्रासंगिकता
आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में नाम जप की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। आधुनिक तकनीक और तेज़ जीवनशैली ने मनुष्य को मानसिक रूप से अस्थिर और चिंतित बना दिया है। ऐसे में नाम जप का अभ्यास मनुष्य को भीतर से संतुलन प्रदान करता है और शांति की अनुभूति कराता है।
(क) तनाव और अवसाद से मुक्ति
नाम जप के नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव और अवसाद से राहत मिलती है। यह मन को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है।
(ख) कार्यक्षमता में वृद्धि
भगवान का नाम जपने से मन की एकाग्रता बढ़ती है, जिससे किसी भी कार्य को पूरी दक्षता के साथ किया जा सकता है।
(ग) आध्यात्मिक संतोष
आधुनिक युग में भौतिक सुख-सुविधाएँ होने के बावजूद मनुष्य के भीतर आध्यात्मिक खालीपन बना रहता है। नाम जप इस खालीपन को भरता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक संतोष प्रदान करता है।
6. निष्कर्ष
नाम जप एक सरल, सहज और प्रभावशाली साधना है, जो हर व्यक्ति के लिए सुलभ है। यह भगवान से हमारा संबंध जोड़ता है और जीवन को शांति, संतोष और आनंद से भर देता है। संत महापुरुषों के अनुसार, नाम जप करना न केवल हमारी आत्मा की शुद्धि करता है, बल्कि यह हमें मोक्ष का मार्ग भी दिखाता है।
श्री प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार:
“भगवान का नाम ही वह नौका है जो हमें संसार रूपी सागर से पार करा सकती है। नाम जप से बढ़कर कोई साधन नहीं। इसे अपने जीवन का अंग बनाइए और हर पल इसका स्मरण कीजिए।”
अतः, आइए हम सब भगवान का नाम जपकर अपने जीवन को सार्थक बनाएँ और आत्मा को उसकी परम शांति तक पहुँचाएँ।
यह प्रवचन महाराज जी के श्रीमुख से सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें ।

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