ravan ki puja kahan hoti hai : भारत के सनातनी देश है और सनातन का सम्मान यहाँ प्राचीन काल से ही किया जा रहा है, भारतीय संस्कृति में रावण एक विवाद का विषय बना हुआ है । यह एक विवादास्पद पात्र है । भारत में बहुत सारे लोग उसे बुराई का प्रतीक मानते हैं और वही पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो रावण मो ज्ञानी और प्रकांड विद्वान मानते हैं । प्रेमानन्द जी के आश्रम केलि कुंज धाम में एक व्यक्ति आया जो भारत के एक ऐसे गाँव से था जिस गाँव का नाम ही रावण था और वहाँ रावण की पूजा होती है, जिसने यह सवाल पूछा कि महाराज रावण की पूजा करना सही है या गलत ।
भारत में कहाँ – कहाँ होती है रावण की पूजा ?
रावण की पूजा भारत के कई हिस्सों में होती है जिसमें से कुछ प्रमुख जगहों की लिस्ट निम्नलिखित है :-
1. मंदसौर (मध्य प्रदेश) : मंदसौर जो मध्य प्रदेश मे स्थित है यहाँ रावण की पूजा की जाती है । यहाँ रावण को दामाद माना जाता है ।
2. विदिशा (मध्य प्रदेश) : मध्य प्रदेश में ही स्थित विदिशा शहर में भी रावण की पूजा होती है यहाँ रावण बाबा का मन्दिर है ।
3. गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) : गढ़चिरौली महाराष्ट्र मे स्थित एक जगह है जहां पर एक गोंड नामक जनजाति रावण को देवता मानकर पूजती है ।
4. जोधपुर (राजस्थान) : जोधपुर राजस्थान के एक गाँव मौदगिल मे भी रावण की पूजा होती है । यह पूजा के साथ साथ रावण का पिंडदान भी किया जाता है ।
5. बिसरख (उत्तर प्रदेश) : उत्तर प्रदेश के बिसरख गाँव में यह मान्यता है की रावण का जन्म यही हुआ था । इसीलिए यह रावण की पूजा होती है ।
6. उज्जैन (मध्य प्रदेश) : चिकली गाँव जो उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है यह रावण की पूजा होती है ।
रावण की पूजा सही है या गलत ? Premanand Ji Maharaj Pravachan
पूज्य श्री प्रेमानन्द जी महाराज कहते हैं कि भारत देश में सदियों से ही रावण की पूजा होती आई है रावण ने रामायण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, श्री प्रेमानन्द जी महाराज कहते है कि भारत मे हमेशा चरित्र की पूजा की गई है और प्रेमानन्द जी ने कहा चरित्र के हिसाब से रावण विलन है परंतु भगवान का अनन्य भक्त है ।
पूजा का उद्देश्य : ravan ki puja kahan hoti hai
प्रेमानन्द जी महराज कहते हैं कि रावण की पूजा का उद्देश्य उसके गुणों का सम्मान करें और बुराइयों से दूर रहें । हमें रावण के सकारात्मक पहलुओं का सम्मान करना चाहिए और नकारात्मक पहलुओं को नजरंदाज करना चाहिए । जैसे रावण एक पात्र है तो हम पात्र के अच्छे गुणो को अपनाते हैं और नकारात्मक गुणों को नजरंदाज करते हैं । ravan ki puja kahan hoti hai
निष्कर्ष
इस प्रकार श्री प्रेमानन्द जी महराज कहते हैं कि रावण की पूजा एक अत्यंत विचारणीय विषय है । आप रावण के अच्छे गुणों को पहचानिए और उनका अनुसरण और सम्मान कीजिए एवं नकारात्मक गुणों को नजरंदाज कीजिए ।