सावन सोमवार का महत्व: प्रेमानंद जी महाराज की वाणी में
by Bhakt

सावन सोमवार का महत्व: प्रेमानंद जी महाराज की वाणी में : Savan Somwar हिंदू धर्म की परंपराओं में श्रावण मास यानी सावन का महीना एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर समय माना गया है। यह महीना विशेषकर भगवान शिव की उपासना और आराधना का होता है। इस दौरान आने वाले सोमवारों को “सावन सोमवार” के रूप में जाना जाता है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत पावन माने जाते हैं। भारत के अनेक राज्यों में श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं, मंदिरों में जल चढ़ाते हैं और शिवमंत्रों का जाप करते हैं।
इस दिव्य अवसर पर परम पूज्य संत श्री प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए सावन सोमवार के महत्व को समझना अत्यंत लाभकारी है। उनकी वाणी में आध्यात्मिक गहराई, सरलता और अनुभूति की मिठास होती है, जिससे जन-जन को भगवान शिव से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है।

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सावन: शिव का प्रिय मास
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि सावन का महीना भगवान शिव के प्रेम में सराबोर होने का मास है। यह काल स्वयं शिव-शक्ति के एकात्म स्वरूप को अनुभव कराने का समय होता है। जैसे वर्षा की पहली बूँद धरती को तृप्त करती है, वैसे ही सावन का एक-एक दिन भक्तों की आत्मा को परमात्मा से मिलाने का अवसर होता है।
सावन सोमवार का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
1️⃣ भगवान शिव की कृपा का समय
सावन सोमवार में भगवान शिव की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन का व्रत रखकर, जलाभिषेक करके और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करके साधक अपने पापों से मुक्त हो सकता है और मोक्ष की दिशा में अग्रसर हो सकता है। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं –
“श्रावण सोमवार वह अवसर है, जब शिव अपने भक्तों के समीप स्वयं आ जाते हैं।”
2️⃣ तप और संयम का अभ्यास
प्रेमानंद जी के अनुसार व्रत केवल शरीर की भूख को रोकना नहीं, बल्कि मन, इन्द्रियों और विचारों का संयम है। सावन सोमवार का व्रत साधक को आत्मनिरीक्षण और आत्मसंयम की ओर प्रेरित करता है।
3️⃣ कन्याओं के लिए विशेष महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने सावन में सोमवार का व्रत करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इस कारण आज भी अनेक कन्याएं इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा से करती हैं। प्रेमानंद जी बताते हैं कि इस व्रत में न केवल विवाह की कामना होती है, बल्कि आत्मबल और सद्गुणों की भी प्राप्ति होती है।
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🔷 प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए सावन सोमवार की पूजा विधि
✅ प्रातः काल उठकर स्नान करें
गंगा जल या शुद्ध जल से स्नान कर सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। शुद्ध मन और निष्ठा के साथ व्रत का संकल्प लें।
✅ शिवलिंग का जलाभिषेक करें
गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। फिर शुद्ध जल से अभिषेक करें।
प्रेमानंद जी कहते हैं — “शिव को जल चढ़ाना आत्मा को शीतलता और चेतना देता है।”
✅ बेलपत्र और पुष्प अर्पण करें
तीन पत्तों वाले बेलपत्र पर “ॐ नमः शिवाय” लिखकर अर्पण करें। शिव को धतूरा, आक, और सफेद पुष्प अत्यंत प्रिय हैं।
✅ मंत्र जाप और शिव चालीसा का पाठ करें
‘ॐ नमः शिवाय’ का कम से कम 108 बार जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राष्टक का पाठ भी करें। इससे मन की शुद्धि और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
✅ आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं
घी का दीपक जलाकर शिवजी की आरती करें और भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें। प्रसाद में पंचामृत, फल या मिष्ठान्न रखा जा सकता है।
🔷 सावन और पर्यावरण संरक्षण
प्रेमानंद जी महाराज अक्सर अपने प्रवचनों में सावन के महीने को पर्यावरण संरक्षण से भी जोड़ते हैं। वे कहते हैं, “सावन केवल भक्ति का नहीं, प्रकृति को धन्यवाद देने का भी समय है।” इस महीने में वर्षा होती है, हरियाली फैलती है, नदियाँ और जलाशय भरते हैं। भक्तों को इस पावन मास में पेड़ लगाना चाहिए, जल की रक्षा करनी चाहिए और स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए।
🔷 सावन सोमवार के पीछे छुपा आत्मिक संदेश
🌼 त्याग और सेवा की भावना
सावन में समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने पी लिया था। यह प्रसंग हमें त्याग, समर्पण और सेवा की भावना सिखाता है। प्रेमानंद जी कहते हैं, “सच्चा भक्त वही है जो दूसरों के कल्याण के लिए अपने सुख का त्याग करे।”
🌼 आत्म-चिंतन और साधना का काल
प्रेमानंद जी के अनुसार सावन आत्म-चिंतन का अवसर है। यह मास बताता है कि हमें अपने अंदर के विकारों—काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार—का मंथन करना है और विष को त्यागकर अमृत को अपनाना है।
🔷 प्रेमानंद जी महाराज का संदेश युवाओं के लिए
प्रेमानंद जी युवाओं से कहते हैं कि सावन केवल बूढ़ों और साधुओं का विषय नहीं है, बल्कि युवाओं के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है अपने जीवन की दिशा तय करने का। वे कहते हैं:
“अगर जीवन की शुरुआत शिवमय हो, तो अंत भी मंगलमय होता है।”
युवाओं को चाहिए कि वे इस माह में नशा, बुरी संगति, आलस्य और क्रोध जैसे दोषों से दूर रहकर शिव की शरण लें। सत्संग, सेवा और स्वाध्याय करें। इससे उनका व्यक्तित्व और चरित्र दोनों निखरता है।
🔷 निष्कर्ष
सावन सोमवार का व्रत और पूजन केवल परंपरा नहीं, एक जीवंत साधना है। यह व्रत आत्मा को भगवान शिव से जोड़ता है, जीवन में सादगी, संयम, समर्पण और सेवा के गुण भरता है। प्रेमानंद जी महाराज की वाणी में सावन केवल एक मौसम नहीं, बल्कि मोक्ष का माध्यम है। उनकी शिक्षाएँ हमें प्रेरित करती हैं कि हम अपने जीवन को शिवमय बनाएं, प्रकृति के प्रति कृतज्ञ रहें और प्रेम, भक्ति व करुणा के मार्ग पर चलें।
🙏🏻 हर-हर महादेव! 🙏🏻
श्रावण मास के सोमवारों में शिव की कृपा आप पर बनी रहे।
सावन सोमवार का महत्व: प्रेमानंद जी महाराज की वाणी में : Savan Somwar हिंदू धर्म की परंपराओं में श्रावण मास यानी सावन का महीना एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर समय माना गया है। यह महीना विशेषकर भगवान शिव की उपासना और आराधना का होता है। इस दौरान आने वाले…