shiv vivah katha premanand ji maharaj : शिव विवाह की कथा हिन्दू धर्म में सभी सनातन को मानने वाले भक्तों के लिए एक अत्यंत प्रेरणादायक कथा है और यह कथा आपको प्रेम और स्नेह का सही पाठ सिखाती है । आज इस पोस्ट में जो शिव विवाह कथा आप पढ़ने जा रहे हैं वह शिव विवाह कथा पूज्य श्री प्रेमानन्द जी महाराज के श्रीमुख से एक भक्त के प्रश्न पूछने के बाद कही गई है, यह कथा अवश्य आपको प्रेरित करेगी और आपके अपने चाहने वालों के प्रति आपको कैसा स्नेह और व्यवहार रखना चाहिए वो सिखाएगी ।
Table of Contents
Shiv vivah katha premanand ji maharaj
यह शिव विवाह की कथा परम आराध्य शिव भगवान और माता पार्वती के सदैव के होने वाले मिलन के बारे में है । यह कथा उस समय की है जब देवी पार्वती ने बाबा शिव से विवाह करने का संकल्प मन में कर लिया था :
माँ पार्वती का तप
माता पार्वती ने भगवान शिव को अपना बनाने के लिए कठोर तपस्या प्रारंभ कर दी और यह तपस्या इतनी कठोर थी कि देवता भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं और यह तपस्या माँ पार्वती नारद मुनि के परामर्श से करती हैं । उनकी इस प्रकार की अटल भक्ति और निष्ठापूर्ण समर्पण दिखाता है कि ईश्वर को पाने के लिए निष्ठावान और धैर्यपूर्ण होना कितना आवश्यक है ।
भगवान शिव का वैराग्य
उधर माँ पार्वती भगवान शिव की आराधना में लीन थी और इधर भगवान शिव बहुत ही गहन साधन में लीन होते हैं और सम्पूर्ण संसार के प्रति उदासीन होते हैं । भगवान शिव की तपस्या प्रायः ऐसी ही होती है ।
देवताओं का हस्तक्षेप
भगवान शिव और माँ पार्वती दोनों ही गहन तपस्या कर रहे होते हैं और तब जाकर देवताओं को यह अनुभूति होती है कि माँ पार्वती और भूतभावन भगवान शिव का विवाह सृष्टि के संतुलन के अत्यंत आवश्यक है । अतः वे भगवान शिव को इस विवाह के हेतु उन्हे मनाने का प्रयास करना आरंभ करते हैं और इस प्रकार सभी देवता मिलकर इस विवाह की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं ।
भगवान शिव व माँ पार्वती का विवाह
इस प्रकार माँ पार्वती के गहन तपस्या और देवताओं के अथक प्रयासों से भगवान शिव और माँ पार्वती का विवाह, देवताओं, ऋषियों एवं सभी दिव्य विभूतियों की उपस्थिति में सम्पन्न होता है । इस विवाह के उपरांत सृष्टि में संतुलन और ऊर्जा का प्रवाह होता है । shiv vivah katha premanand ji maharaj
शिव विवाह से सीख : shiv vivah katha premanand ji maharaj
- यह मात्र एक विवाह ही नहीं है अपितु हर एक मानव के लिए सीख है, आपकी चेतना के उद्गम के लिए पर्याप्त प्रेरक है ।
- सबसे पहली सीख यह मिलती है कि अगर आप किसी भी प्रण को ठान लेते हैं और उस दिशा में अथक परिश्रम और प्रयास करते हैं तो स्वयं भगवान को भी आपके आगे झुकना पड़ता है ।
- इस विवाह से यह भी सीखने की मिलता है कि भक्ति करने वाले पर भगवान की असीम अनुकंपा होती है और अपने कार्य को लेकर सजग रहने वाले पर भगवान का आशीर्वाद सदैव रहता है ।
नींद का समय कैसे कम करें : प्रेमानन्द जी महाराज
प्रेमानन्द जी महाराज के वचन
प्रेमानन्द जी महाराज इस शिव विवाह की कथा को त्याग और समर्पण की भावना का संगम बताया है । साधारण और सार्थक अर्थ है कि अगर आप अपने कार्य में समर्पित और उस कार्य को पूर्ण करने के लिए पूर्णतया लगन के साथ परिश्रम करते हैं तो आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है भगवान स्वयं उस कार्य को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं । जैसे कि माँ पर्वत ने अपने गहन और अथक तपस्या से अपने प्रण कि विवाह तो भगवान शिव से ही करना है यह पूर्ण किया वैसे ही आप भी कर सकते हैं ।
शिव विवाह का हिन्दू धर्म में महत्व
शिव विवाह हिन्दू धर्म में अत्यंत पूजनीय उत्सव है । सम्पूर्ण भारत एवं दुनियाभर के भगवान शिव के भक्त शिव विवाह को प्रतिवर्ष मनाते हैं और कथा सुनते हैं । यह कथा जीवन को सम्पूर्ण और व्यवस्थित बनाने के लिए काफी है । यह कथा महाशिवरात्रि और अन्य धार्मिक पवन अवसरों पर सुनी जाती है ।
निष्कर्ष
श्री प्रेमानन्द जी महाराज ने शिव विवाह के रूप हमें यह सिखाया कि जीवन कितना अनमोल है और इसे प्रभु सेवा अपने कार्य के प्रति समर्पित कर दो । यह कथा सिखाती है कि अगर हम भक्ति, समर्पण और संतुलन को जीवन मे ले आते हैं तो यह हमारे लिए दिव्य द्वारों को खोलने जैसा है ।