मानसिक बीमारियों से घिर चुका हूँ क्या करूँ इस पर श्री प्रेमानंद जी महाराज कह रहे है

जय जय श्री राधा

श्री राधा नाम का जप करता हूँ जिससे मन के कुविचार इसमें बाधा उत्पन्न करते है जिससे मानसिक परेशानी बढ़ रही है कृपया मार्गदर्शन कीजिए

वैसे मानसिक परेशानी बढ़ती नही चली जा रही है आप उसे नकारात्मक रूप में ले रहे है आपका आत्मबल गन्दगी को निकाल रहा है

हमारा मन एक चिप की तरह है देखो कैसे छोटी चिपे आती है साढ़े तीन सौ -पांच सौ घंटे का उसमे प्रवचन या उसमे कुछ भी भरा जा सकता है

भगवान का ये जो मन बनाया हुआ है ये अनंत जन्मों के इसमें गंदे और अच्छे दोनों संस्कार भरे हुए है इसे पूरा डिलीट करना है

जब आप राधा - राधा जपना शुरू किये वो गन्दगी निकलना शुरू हो गई है कोई आ रहा है तो दिखेगा या जा रहा है तो दिखेगा 

जय जय श्री राधा

लेकिन वास्तव में वो आ नही रहा है वो जा रहा है भजन करने पर मन में जो विकार आते है मन में जो गन्दगी आती है वो आ नही रही है वो अन्दर की छुपी बाहर निकल रही है 

धर्यपूर्वक थोड़ा दीर्घकाल तक जपिए तब आप देखेंगे कि धीरे-2 कम होता जायेगा फिर उसमे भगवान के चित्र दिखने लगेंगे उनकी लीलाएं दिखाई देंगी 

अभी शुरू में सहना पड़ेगा इसमें थोड़ी लड़ाई लड़नी पड़ेगी मन के साथ और जीत गए तो अमर पद है परम पद है श्री राधा