श्री हित प्रेमानंद जी महाराज कह रहे है भजन के अनुभव या संकेत तभी सच्चे मानो जब ऐसा हो

जय जय श्री राधा

संतो की वाणी और शास्त्र की वाणी दोनों से आपके अनुभव मिलने चाहिये अगर नही मिलते तो मिथ्या है

Black Section Separator

संतो की वाणी भी शास्त्र वाणी क्योंकि कोई भी बात ऐसी नही जो हमारे शास्त्रों में न हो 

भगवान व्यासदेव जी ने कहा है जो हो चुके है या जो है बड़े-2 सिद्ध परमहंस वो सब अनुभव मैं लिख रहा हूँ क्योंकि है ही तो वो भगवान ना

जय जय श्री राधा

चाहे वह कर्मयोग हो, ज्ञानयोग हो, भक्तियोग हो कोई भी मार्ग हो सबके अनुभव लिखे हुए है

जय जय श्री राधा

ऐसे ही हम अपने ह्रदय की बात हमारा मन बड़ा बेईमान है इसकी दशाएं बड़ी विचित्र होती है 

जय जय श्री राधा

"कबहू मन रंग सुरंग चढ़य कबहू मन सोंच करय धन का कबहू मन नारि पियारी लगे कबहू मन त्याग चलय बन का"

इसके हर क्षण में यार अब तो बस भजन करेंगे और अगले मिनट में वो इतनी गंदी चिंतन वृत्ति धारण किये कि तुम्हें लगे अभी तो कह रहा था वैरागी लेके भजन करें अब क्या हो रहा है

हम इसकी बात तभी मानें जब संत और शास्त्र-सम्मत वाणी से हमारा मिलान हो रहा हो