आत्महत्या करने वालों का आगे क्या होता है ? Premanand ji maharaj in 2025
by Bhakt

आत्महत्या करने वालों का आगे क्या होता है ? Premanand ji maharaj : आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से आत्महत्या एक गंभीर और संवेदनशील विषय है। प्राचीन धर्मग्रंथों और संत-महात्माओं के विचारों में आत्महत्या को मनुष्य के लिए सबसे बड़ी भूल और पाप के रूप में देखा गया है। आत्महत्या केवल शरीर का अंत नहीं है, यह आत्मा के विकास में रुकावट और कर्मों के बंधन को और अधिक जटिल बनाने वाला कार्य है। प्रख्यात संत प्रेमानंद जी महाराज ने आत्महत्या से जुड़े आध्यात्मिक प्रभावों पर गहन प्रकाश डाला है।
आत्महत्या का कारण और मानसिक स्थिति
Premanand ji maharaj : आमतौर पर, आत्महत्या के पीछे व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक स्थिति होती है। अवसाद, तनाव, असफलता, भय, या जीवन की चुनौतियों से भागने की इच्छा आत्महत्या के मुख्य कारण हो सकते हैं। संत प्रेमानंद जी कहते हैं कि यह जीवन प्रभु का दिया हुआ अमूल्य वरदान है। इसका दुरुपयोग करना या इसे स्वयं समाप्त करना ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध है। जब कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो वह अपने संचित कर्मों से भागने का प्रयास करता है, लेकिन ऐसा संभव नहीं है।
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मृत्यु के बाद की स्थिति
Premanand ji maharaj : संत प्रेमानंद जी के अनुसार, आत्महत्या करने वालों की आत्मा तुरंत परमात्मा की शरण में नहीं जा पाती। आत्महत्या के बाद आत्मा एक विचलित अवस्था में रहती है। इस अवस्था को ‘भूत योनि’ कहा जाता है, जहाँ आत्मा अपने कर्मों और अधूरे कार्यों की वजह से बंधी रहती है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को शांति और मुक्ति प्राप्त करने में अत्यधिक कठिनाई होती है।
आत्मा की पीड़ा
Premanand ji maharaj : आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को यह एहसास होता है कि उसने अपने जीवन के उद्देश्य को अधूरा छोड़ दिया। उनकी आत्मा उन अधूरे कर्तव्यों और संबंधों की वजह से बेचैन रहती है, जिन्हें उन्होंने पीछे छोड़ दिया। प्रेमानंद जी कहते हैं, “आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है; यह केवल आत्मा की पीड़ा को और बढ़ा देती है।”
आत्महत्या और कर्मफल
Premanand ji maharaj : सनातन धर्म के अनुसार, हर व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर इस संसार में जन्म लेता है। आत्महत्या करने से व्यक्ति अपने संचित कर्मों से बच नहीं सकता। बल्कि, ऐसा करने से उसके कर्मों का बोझ और बढ़ जाता है। आत्महत्या का परिणाम अगले जन्मों में भयंकर दुख और कठिनाइयों के रूप में प्रकट होता है।
पुनर्जन्म का प्रभाव
Premanand ji maharaj : प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को अगले जन्म में भी अपनी अधूरी यात्रा को पूरा करना पड़ता है। जीवन के जो कष्ट उसने अधूरे छोड़े थे, वे अगले जन्म में अधिक तीव्रता से लौटते हैं। इस प्रकार, आत्महत्या से समस्याओं का अंत नहीं होता, बल्कि वे और बढ़ जाती हैं।
आत्महत्या से बचने के उपाय
Premanand ji maharaj : संत प्रेमानंद जी का संदेश है कि आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग अपनाना चाहिए।
भक्ति और ध्यान
Premanand ji maharaj : भक्ति और ध्यान आत्मा को शांति प्रदान करने का सर्वोत्तम उपाय है। भगवान का स्मरण और साधना व्यक्ति के मानसिक तनाव को कम करती है और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करती है।
सत्संग और गुरुकृपा
Premanand ji maharaj : सत्संग में भाग लेना और गुरु की शरण में जाना भी आत्महत्या के विचारों से उबरने में सहायक होता है। संत प्रेमानंद जी कहते हैं, “गुरु के मार्गदर्शन में व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों को सहने की शक्ति प्राप्त करता है।”
परिवार और समाज का सहयोग
Premanand ji maharaj : व्यक्ति को अपनी समस्याओं को परिवार और दोस्तों के साथ साझा करना चाहिए। समाज को भी आत्महत्या की ओर बढ़ते व्यक्तियों को सहारा और समर्थन देना चाहिए।
आत्महत्या के प्रति समाज की जिम्मेदारी
Premanand ji maharaj : संत प्रेमानंद जी का मानना है कि समाज का यह दायित्व है कि वह ऐसे लोगों की मदद करे, जो मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से जूझ रहे हैं। आत्महत्या को रोकने के लिए समाज को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- शिक्षा और जागरूकता: लोगों को यह समझाना कि आत्महत्या कोई समाधान नहीं है।
- सकारात्मक वातावरण: परिवार और समाज को एक ऐसा माहौल प्रदान करना चाहिए, जहाँ हर व्यक्ति अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सके।
- आध्यात्मिक मार्गदर्शन: सत्संग, प्रवचन, और धार्मिक शिक्षा के माध्यम से लोगों को जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझाना।
निष्कर्ष
Premanand ji maharaj : संत प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, आत्महत्या जीवन की समस्याओं का समाधान नहीं है। यह एक आत्मा के लिए और भी बड़े संकट और पीड़ा का कारण बनती है। जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, व्यक्ति को धैर्य और विश्वास बनाए रखना चाहिए। भगवान पर आस्था और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से जीवन की हर समस्या का समाधान संभव है।
इसलिए, हमें अपने जीवन को प्रभु के चरणों में समर्पित कर, इसे एक सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहिए। आत्महत्या का विचार मन में आने पर, हमें तुरंत किसी अपने से बात करनी चाहिए और मदद मांगनी चाहिए। जीवन अमूल्य है और इसे प्रभु की कृपा मानकर जीना ही सच्चा धर्म है।
यह प्रवचन महाराज जी के श्रीमुख से सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें ।

आत्महत्या करने वालों का आगे क्या होता है ? Premanand ji maharaj : आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से आत्महत्या एक गंभीर और संवेदनशील विषय है। प्राचीन धर्मग्रंथों और संत-महात्माओं के विचारों में आत्महत्या को मनुष्य के लिए सबसे बड़ी भूल और पाप के रूप में देखा गया है। आत्महत्या केवल…