shiv ki pooja kaise kare Premanand ji maharaj
by Bhakt

shiv ki pooja kaise kare Premanand ji maharaj : भगवान शिव की पूजा सरलता, सादगी और भक्ति के साथ की जाती है। शिव, जिन्हें भोलेनाथ, महादेव और त्रिलोकेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि शिव की पूजा जीवन में सकारात्मकता, शांति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। इस लेख में, हम शिव पूजा की प्रक्रिया और उसके महत्व को विस्तार से समझेंगे।
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शिव चालीसा : shiv ki pooja kaise kare Premanand ji maharaj
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास, तुम देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजापति दीनदयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहे तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहि जाय पुकारा। तबहि दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहि जुहारी॥
हिन्दुओं को टैटू बनवाने चाहिए या नहीं ?
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर संहारे कारन। सबहिं कृपा करी पुनि तारन॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पूरी॥
दानिन महं तुम सम कोई। सेवक स्तुति करत नहिं होई॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अखिल लोक जग पति सुनाई॥
प्रकटी उदधि मंथन ते ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु-पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाही। जो कोई जाचे सो फल पाही॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नम: शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावनकारी॥
पुत्रहीन इच्छित फल पावे। धन-आरोग्य भुक्ति सुख पावे॥
पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यानपूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहिं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहै अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
॥श्री शिव चालीसा समाप्त॥
1. पूजा की तैयारी : shiv ki pooja kaise kare Premanand ji maharaj
shiv ki pooja kaise kare : पूजा शुरू करने से पहले मानसिक और शारीरिक शुद्धता आवश्यक है। शिव पूजा के लिए निम्नलिखित वस्तुएं एकत्रित करें:
- शिवलिंग: अगर उपलब्ध हो, तो जलधारी के साथ स्थापित करें।
- जल और गंगाजल: शुद्धिकरण के लिए।
- बिल्वपत्र: शिवजी को अत्यंत प्रिय होते हैं।
- भस्म (राख): शिव की प्रतीकात्मक सामग्री।
- धतूरा और आक: पूजा में उपयोगी विशेष फूल।
- फूल और फल: सफेद रंग के फूल और ताजे फल।
- धूप और दीपक: सुगंध और प्रकाश के लिए।
- पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण।
2. पूजा का स्थान और समय : shiv ki pooja kaise kare Premanand ji maharaj
shiv ki pooja kaise kare : प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि शिव पूजा के लिए सूर्योदय या संध्या का समय उत्तम होता है। पूजा किसी शांत और पवित्र स्थान पर करनी चाहिए। मंदिर में हो सके तो पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
3. शिव पूजा की विधि : shiv ki pooja kaise kare Premanand ji maharaj
(i) ध्यान और मंत्रोच्चार
- पूजा की शुरुआत भगवान शिव का ध्यान करते हुए करें।
- मंत्र:
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।
- इस मंत्र का 108 बार जप करने से विशेष फल मिलता है।
(ii) जलाभिषेक
- शिवलिंग पर शुद्ध जल और गंगाजल चढ़ाएं।
- जल चढ़ाते समय “ॐ गंगाधराय नमः” मंत्र का उच्चारण करें।
(iii) पंचामृत अभिषेक
- शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं।
- इस क्रम में दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल अर्पित करें।
- यह प्रक्रिया भगवान शिव को शीतलता प्रदान करती है।
(iv) बिल्वपत्र अर्पण
- तीन पत्तों वाले बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- ध्यान रखें कि पत्ते साफ और कटे-फटे न हों।
- बिल्वपत्र चढ़ाते समय “ॐ त्र्यम्बकाय नमः” मंत्र का जाप करें।
(v) भस्म और चंदन का प्रयोग
- शिवलिंग पर भस्म और चंदन लगाएं।
- भस्म शिवजी की तपस्या और त्याग का प्रतीक है।
(vi) धूप, दीप और नैवेद्य
- धूप जलाकर शिवलिंग के चारों ओर तीन बार घुमाएं।
- दीपक जलाकर शिवजी के चरणों में अर्पित करें।
- नैवेद्य (फल, मिठाई या भोग) अर्पित करें।
(vii) शंख और घंटा बजाएं
- शंख ध्वनि और घंटे की आवाज से पूजा स्थल का वातावरण पवित्र होता है।
4. शिव पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- सच्ची भावना से पूजा करें: प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि पूजा में सच्ची भक्ति का होना सबसे आवश्यक है।
- अहंकार का त्याग करें: शिवजी विनम्रता और सादगी के देवता हैं।
- सकारात्मक विचार रखें: पूजा के दौरान किसी भी नकारात्मक विचार को मन में न आने दें।
- शिवलिंग की परिक्रमा: शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा आधी करें। पूर्ण परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।
5. शिव पूजा का महत्व
- शांति और संतुलन: शिव पूजा से मानसिक शांति और जीवन में संतुलन प्राप्त होता है।
- संकटों का नाश: भगवान शिव की कृपा से जीवन के संकट दूर होते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति: प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि शिव पूजा व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति की ओर ले जाती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: पूजा के माध्यम से घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
6. विशेष अवसरों पर शिव पूजा
- सोमवार: यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है।
- महाशिवरात्रि: इस दिन रात्रि भर जागरण और शिव पूजा का विशेष महत्व है।
- सावन का महीना: यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष है।
7. ध्यान और साधना का महत्व
shiv ki pooja kaise kare : भगवान शिव केवल पूजा से ही नहीं, बल्कि ध्यान और साधना से भी प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन कुछ समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप और ध्यान करें। इससे आत्मा शुद्ध होती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
प्रेमानंद जी महाराज का संदेश है कि शिव पूजा केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के बीच का संबंध है। भगवान शिव की पूजा सादगी और भक्ति के साथ करें। जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए शिव पूजा अत्यंत प्रभावी साधन है।
ॐ नमः शिवाय।

shiv ki pooja kaise kare Premanand ji maharaj : भगवान शिव की पूजा सरलता, सादगी और भक्ति के साथ की जाती है। शिव, जिन्हें भोलेनाथ, महादेव और त्रिलोकेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। प्रेमानंद जी महाराज का…