The Success Story of Kheti Ka Hisab Startup

The Success Story of Kheti Ka Hisab Startup : खेती का हिसाब एक भारतीय कृषि-प्रौद्योगिकी (Agri-Tech) स्टार्टअप है, जिसका उद्देश्य किसानों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जोड़कर उनकी खेती को आधुनिक, वैज्ञानिक और लाभकारी बनाना है। यह कंपनी किसानों की आम समस्याओं जैसे रोग-कीट प्रबंधन, बाज़ार तक पहुँच, मौसम और जलवायु की सटीक जानकारी तथा कृषि उत्पादों की उपलब्धता को हल करने का प्रयास कर रही है।

The Success Story of Kheti Ka Hisab Startup : कंपनी के Founder एवं CEO श्री ललित किशोर कुमावत और Co-Founder सुश्री अंतिमा सोनी हैं। दोनों ही वर्तमान में कृषि संकाय से स्नातक (B.Sc. Hons. Agriculture) की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। छात्र जीवन के दौरान, इन्हें यह अनुभव हुआ कि किसानों को तकनीकी जानकारी और कृषि से जुड़े साधनों की कमी है। इसी अनुभव से इन्हें “खेती का हिसाब” की स्थापना का विचार आया ।

Kheti Ka Hisab : “खेती का हिसाब” की शुरुआत एक छोटे ब्लॉग और वेबसाइट से हुई, जहाँ कृषि से जुड़े लेख, ट्यूटोरियल और सुझाव साझा किए जाते थे। धीरे-धीरे किसानों और पाठकों का रुझान बढ़ा और इस प्लेटफॉर्म को लोकप्रियता मिलने लगी। सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद, टीम ने इस पहल को एक मोबाइल एप्लिकेशन के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया। The Success Story of Kheti Ka Hisab Startup

“खेती का हिसाब” की नींव और इसकी कार्य-योजना पर सबसे गहरा प्रभाव परम पूजनीय प्रेमानंद जी महाराज के सत्संगों और शिक्षाओं का रहा है।

संस्थापकों के अनुसार, उनकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत परम पूजनीय प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन और सत्संग रहे हैं। उनके विचारों और शिक्षाओं ने इन्हें जीवन में उद्देश्यपूर्ण कार्य करने और किसानों के लिए उपयोगी समाधान विकसित करने की प्रेरणा दी।

संस्थापक श्री ललित किशोर कुमावत और सुश्री अंतिमा सोनी ने कई बार यह साझा किया है कि उनके जीवन में सकारात्मक सोच, सेवा-भाव और कर्म के प्रति निष्ठा का बीज महाराज जी के प्रवचनों से ही पड़ा। महाराज जी के अनुसार:

  • “जीवन का उद्देश्य केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए होना चाहिए।”
  • “कर्म को पूजा मानकर किया जाए, तो वह सच्ची साधना है।”
  • “भक्ति और सेवा का वास्तविक स्वरूप वही है, जब हम समाज के कमजोर वर्ग को उन्नति की राह दिखाएँ।”

ललित किशोर कुमावत कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वे कृषि संकाय से स्नातक (B.Sc. Hons. Agriculture) की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने किसानों की समस्याओं जैसे डेटा प्रबंधन, रोग और कीट नियंत्रण तथा कृषि विपणन को हल करने के लिए “खेती का हिसाब” की अवधारणा प्रस्तुत की।

अंतिमा सोनी कंपनी की सह-संस्थापक हैं। वे भी कृषि संकाय से स्नातक (B.Sc. Hons. Agriculture) की छात्रा हैं। अंटिमा ने किसानों  के लिए फसल विपणन, रोग एवं कीट प्रबंधन और डेटा प्रबंधन से संबंधित योजनाओं को कंपनी के कार्य मॉडल में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान विशेष रूप से कृषि विपणन और किसानों की आर्थिक सशक्तिकरण पर केंद्रित है।

यह पहल उनके भाई लालित किशोर कुमावत के साथ मिलकर सह-स्थापित की गई थी। अंतिमा सोनी परियोजना के विकास और रणनीति (Development and Strategy) में सक्रिय योगदान देती हैं। वहीं, कुमावत कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में कार्यरत हैं।

महाराज जी के प्रवचनों में प्रकृति, धरती और पर्यावरण के संरक्षण का विशेष महत्व रहा है। उनकी शिक्षाओं से प्रभावित होकर “खेती का हिसाब” ने यह तय किया कि कंपनी केवल लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि किसानों की भलाई और सेवा के लिए काम करेगी।

महाराज जी का मानना है कि –

  • खेती केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि धरती माँ की सेवा है।
  • किसान राष्ट्र की रीढ़ हैं और उनकी उन्नति से ही समाज का संतुलन बना रह सकता है।
  • आध्यात्मिकता और कृषि का संबंध बहुत गहरा है, क्योंकि दोनों ही हमें धरती से जोड़ते हैं और विनम्रता का पाठ सिखाते हैं।
  • ललित किशोर कुमावत ने स्वीकार किया कि अगर उन्हें महाराज जी के प्रवचन और मार्गदर्शन न मिले होते, तो शायद “खेती का हिसाब” की दिशा इतनी स्पष्ट न होती।
  • अंतिमा सोनी ने भी कहा है कि महाराज जी से मिली प्रेरणा ने उनके भीतर सेवा-भाव और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को और प्रबल किया।

Kheti Ka Hisab : “खेती का हिसाब” का विज़न भारतीय किसानों को डिजिटल साधनों से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। कंपनी का दीर्घकालिक उद्देश्य है:

  • कृषि को डेटा-आधारित और वैज्ञानिक बनाना।
  • किसानों की आय में वृद्धि करना।
  • तकनीक और बाज़ार तक आसान पहुँच प्रदान करना।
  • भारत में सतत कृषि (Sustainable Agriculture) को बढ़ावा देना।

कंपनी वर्तमान में और भविष्य में निम्नलिखित सेवाएँ उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखती है:

  • डेटा मैनेजमेंट – खेती से जुड़े आँकड़ों का रिकॉर्ड और विश्लेषण।
  • मौसम व जलवायु अपडेट्स – किसानों को उनके क्षेत्र अनुसार मौसम की जानकारी।
  • कृषि उत्पाद बिक्री – बीज, उर्वरक, कीटनाशक, फफूंदनाशी, ग्रोथ रेगुलेटर्स आदि।
  • डिजिटल मार्केटप्लेस – किसानों को सीधे उपभोक्ताओं और व्यवसायों से जोड़ना।
  • शिक्षा एवं प्रशिक्षण – लेख, वीडियो, ट्यूटोरियल और विशेषज्ञ मार्गदर्शन।
  • सोइल हेल्थ टेस्टिंग – मिट्टी की जांच और पोषण संबंधी सुझाव।
  • समुदाय और नेटवर्किंग – किसानों को आपस में जोड़ना और अनुभव साझा करने का मंच।

भारतीय किसानों के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिन्हें “खेती का हिसाब” हल करने की कोशिश कर रहा है:

  • मिट्टी और मौसम की सटीक जानकारी का अभाव
  • रोग और कीट प्रबंधन की जटिलता
  • कृषि उत्पादों की विक्रय में पारदर्शिता की कमी
  • डिजिटल साक्षरता और आधुनिक तकनीक तक पहुँच की कमी।

“खेती का हिसाब” का बिज़नेस मॉडल विभिन्न स्रोतों से राजस्व उत्पन्न करने पर आधारित है:

  • प्रीमियम सब्सक्रिप्शन सेवाएँ (एडवांस्ड डेटा एनालिटिक्स और कस्टम सुझाव)।
  • कृषि उत्पाद बिक्री और एफिलिएट पार्टनरशिप
  • विज्ञापन और Google AdSense
  • मार्केटप्लेस कमीशन – किसानों और खरीदारों के बीच लेन-देन से।
  • “खेती का हिसाब” मोबाइल एप्लिकेशन का लॉन्च, जिसमें सभी सेवाएँ एकीकृत होंगी।
  • किसानों के लिए AI आधारित सिफारिश प्रणाली (crop planning, pest detection)।
  • सैटेलाइट डेटा और IoT उपकरणों का उपयोग करके मिट्टी और जलवायु का वास्तविक समय पर विश्लेषण।
  • पूरे भारत में किसानों के लिए एक डिजिटल नेटवर्क तैयार करना।

भारत की 60% से अधिक आबादी आज भी कृषि पर निर्भर है। ऐसे में “खेती का हिसाब” किसानों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। यह न केवल उनकी आय और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि डिजिटल इंडिया मिशन और सतत कृषि को भी गति देगा।

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